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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।

अथवा
'वापसी' कहानी के कथानक को प्रस्तुत करते हुए सिद्ध कीजिए कि कथाकारा अपने उद्देश्य में सफल हुई है।
अथवा
'वापसी' कहानी का कथानक संक्षेप में लिखिए।
अथवा
'वापसी' कहानी में समाज की किस व्यवस्था का चित्रण किया गया है?
अथवा
'वापसी' कहानी के नायक गजाधर बाबू का चरित्र चित्रण कीजिए।
अथवा
'वापसी' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
अथवा
'वापसी' कहानी का मूल उद्देश्य क्या है?

उत्तर -

'वापसी' कहानी ऊषा प्रियंवदा की एक प्रतिनिधि कहानी है। कहानी के नायक गजाधर बाबू रानीपुर नामक एक छोटे से रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर के पद से अवकाश पाने के पश्चात् घर लौटते हैं। उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि उनके पहुँचते ही उनकी पत्नी, पुत्र, पुत्री एवं पुत्र वधू अत्यन्त प्रसन्न होंगे, किन्तु उनके पहुँचते ही घर के लोगों की दिनचर्या रुक जाती है। उन्हें लगता है कि वे अपने घर में नहीं हैं। कहानी मूलतः मनोवैज्ञानिक है। कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर कहानी की समीक्षा इस प्रकार है -

कथानक - 'वापसी' कहानी का कथानक एक अति सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी है जिसमें कहानी के नायक गजाधर बाबू एक छोटे से रेलवे स्टेशन मास्टर रानीपुर के स्टेशन मास्टर हैं। पूरे जीवन अपने परिवार से अकेले रहकर परिवार के भरण-पोषण के लिए नौकरी करते हैं। आज रिटायर होकर अपने घर जाने की खुशी उन्हें हैं, किन्तु यहाँ के वातावरण व नौकर गनेशी के लगाव के कारण गजाधर बाबू को जाने का गम भी है। गजाधर बाबू अपने घर पहुँचते हैं। कुछ दिन तक सब कुछ सामान्य होने के बाद गजाधर बाबू अपने ही घर में अधिक दिन ठहरे मेहमान की तरह घर वालों को लगने लगते हैं। पुत्री बसन्ती का मुँह फुला लेना, पुत्र नरेन्द्र को मित्रों के आवभगत करने मंन असुविधा, पुत्रवधू को गृहकार्य में लगाने से उसकी अप्रसन्नता और परिवार के लिए दिन भर खटते-मरते काम करती पत्नी का पति के प्रति उदासीन भाव गजाधर बाबू को अपने अकेलेपन के जीवन की याद ताजा कराते हैं। वहाँ पराये भी अपनों की भाँति व्यवहार करते थे। इससे खिन्न होकर और अपने को परिवार का बोझ समझकर (यद्यपि वह स्वयं ही परिवार का भरण-पोषण करने वाले परिवार के एकमात्र सदस्य हैं) फिर से रानीपुर वापस जाने का निर्णय करते हैं और अपनी पत्नी से कहते हैं- "मुझे सेठ राजीमल की चीनी मिल में नौकरी मिल गई है। खाली बैठे रहने से तो चार पैसे घर आयें, वहीं अच्छा है। उन्होंने तो पहले ही कहा था, मैंने ही मना कर दिया था "। यह कहकर वे अपनी पत्नी को अपने साथ ले चलने का प्रस्ताव करते हैं। किन्तु पत्नी पारिवारिक व्यस्तता की बात कहकर अपने पति के साथ चलने से इन्कार दर देती है। गजाधर बाबू अकेले ही फिर अपने घर से वापस चले जाते हैं। उनके जाते ही घर के सभी लोग राहत महसूस करते हैं और पूर्व की भांति कार्य में लग जाते हैं। पूरे जीवन साथ रहने के लिए विवाहित पत्नी भी पारिवारिक स्थिति के कारण कह उठती है- "अरे नरेन्द्र बाबू जी की चारपाई कमरे से निकाल दे। उसमें चलने तक की जगह नहीं है "।

चरित्र-चित्रण - ऊषा प्रियंवदा की कहानी वापसी के मुख्य नायक गजाधर बाबू हैं जो अति सामान्य जीवन यापन करने वाले रेलवे के स्टेशन मास्टर हैं इस कहानी में उनके सम्पूर्ण जीवन की संघर्ष - कथा का चित्रण है। पूरे जीवन अपने परिवार को सुख-सुविधा व पढ़ाई-लिखाई के अच्छे साधन के लिए वे परिवार को शहर में मकान बनवाकर रखने और स्वयं छोटे स्टेशन में पूरी नौकर व्यतीत करके धन परिवार में लगाते रहे तथा रिटायर होने पर परिवार के साथ रहने की खुशी व जाने पर परिवार का उनके प्रति अपेक्षित व्यवहार न मिलना उनके जीवन की विडम्बना को दर्शाता है। कहानी में गजाधर बाबू के परिवार के सदस्य उनकी पुत्री बसन्ती, पुत्र नरेन्द्र और पुत्रवधू उनके घर आ जाने से अपनी स्वतन्त्रता को बाधित महसूस करते हैं और गजाधर बाबू के पुनः वापस चले जाने पर अति प्रसन्न होते हैं यहाँ तक की उनकी पत्नी पति के साथ न रहने के कारण परिवार की, गृहस्थी की जिम्मेदारियों में इतनी व्यस्त है कि वह भी अपने रिटायर पति का ख्याल नहीं रखती और वापस गजाधर बाबू को नौकरी में जाते समय उनके द्वारा साथ चलने के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। कहानी में अति छोटा पात्र गजाधर बाबू का नौकरी के समय का नौकर गनेशी भाव - गरिमा से ओत-प्रोत है। गजाधर बाबू के रिटायर होने के बाद उनके चले जाने का दुःख उसे है। कहानी के सम्पूर्ण चरित्र समय के अनुसार ढले प्रतीत होते हैं।

संवाद या कथोपकथन - वापसी कहानी के संवाद अत्यन्त सरल व सहज बोधगम्य व भावानुकूल तथा परिस्थिति अनुकूल हैं। गजाधर बाबू के रिटायरमेण्ट के समय गनेशी का गजाधर बाबू से यह कथन गनेशी के प्रेम का प्रदर्शन कराता है "घरवाली ने साथ में कुछ बेसन के लड्डू रख दिये हैं। कहा, बाबू जी को पसन्द थे, अब कहाँ हम गरीब लोग आपकी कुछ खातिर कर पायेंगे "। ...... "कभी-कभी हम लोगों की खबर लेते रहियेगा "। कहानी में पिता-पुत्र, पिता- पुत्री, पिता-पुत्रवधू और पति-पत्नी के संवादों में परम्परा का त्याग और आधुनिकता का सजीव दर्शन होता है। पिता की हताशा, निराशा, परिवार का पिता को अपेक्षित आदर न मिलना इस कहानी के सम्वादों से दृष्टिगत होता है। इस कहानी के संवादों में नई और पुरानी पीढ़ी का संघर्ष, अवकाशप्राप्त व्यक्ति की अपने ही लोगों द्वारा उपेक्षा तथा पाश्चात्य संस्कृति का दुष्प्रभाव सर्वत्र दिखाई पड़ता है।

भाषा-शैली - ऊषा प्रियंवदा की कहानी 'वापसी की भाषा अत्यन्त सरल, मुहावरेदार तथा भाव गर्भित है। इस कहानी में लेखिका ने भावों में प्रभाव डालने के लिए भाषा के मिश्रित रूप का प्रयोग किया है। हिन्दी की बोलचाल की खड़ी बोली में लिखी गयी कहानी में उर्दू, फारसी, अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग कहानी में किया गया है। अंग्रेजी के रिटायर, फारसी के शऊर, खातिर आदि शब्दों के माध्यम से कहानी में चमत्कार उत्पन्न किया गया है। वापसी कहानी में सामाजिक जीवन के मध्यमवर्ग की मानसिक स्थिति के वर्णन में मनोवैज्ञानिक आधार पर सरल व प्रवाहमयी शैली का प्रयोग किया गया है। कहानी में मुहावरों का भी प्रयोग आवश्यकतानुरूप किया गया है यथा- 'दुहरा होना', 'सिटपिटा जाना', 'हाड़ तोड़ना', 'पेट काटना', 'जी भारी होना' आदि।

उद्देश्य - ऊषा प्रियंवदा की कहानी 'वापसी' का मूल उद्देश्य आधुनिक पारिवारिक स्थितियों का चित्रांकन करना है। इस कहानी में नई और पुरानी पीढ़ी का संघर्ष, अवकाश प्राप्त व्यक्ति की अपने ही लोगों द्वारा उपेक्षा तथा पाश्चात्य संस्कृति का दुष्प्रभाव तीनों का समवेत चित्रांकन किया गया है। इस कहानी के माध्यम से लेखिका ने एक मध्यम वर्ग के परिवार की आर्थिक, सामाजिक स्थिति का दर्शन कराकर परिवार के मुखिया की परिवार में उपेक्षापूर्ण स्थिति का चित्रण कराया है। मनोवैज्ञानिक धरातल पर लिखी गयी उषा प्रियंवदा की कहानी 'वापसी' एक सफल कहानी है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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